AAP Aur Paap

: : : "दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" चोर मचाते रहे शोर -ये सारी दुनियां है चोर ! भूल गए एक उँगली दूसरे की ओर करने से 3 अपनी ही ओर होती हैं!! कथित ईमानदार के सारे पाप सामने आएंगे, तो सब जानते थे; काठ की हांड़ी इतना भी नहीं टिक पायेगी, आश्चर्य !!! कहते हैं जो काँच के घरों में रहते हैं, वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते! यहाँ दूसरों के घर पत्थर फेंक दिखाते हैं, हमारा कांच अटूट है!! किन्तु जब पत्थर पड़ने लगे, तो रोने लगे!!! -तिलक सं 9911111611, 7531949051.: : "ब्लाग" पर आपका हार्दिक स्वागत है. इस ब्लॉग पर अपनी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाये भेज सकते हैं, रचनाएँ स्वरचित है इसका सत्यापन कर ई-मेल yugdarpanp@gmail.com पर भेजें, ये तो आपका ही साझा मंच है.धन्यवाद: :

Thursday, December 8, 2022

गुजरात के विधानसभा चुनाव 2022 की गणना का सीधा प्रसारण

गुजरात के विधानसभा चुनाव 2022 की गणना का सीधा प्रसारण आप देख रहे हैं (India TV/ज़ी Live, के सौजन्य से) 
1/202-5, गुजरात प्रदेश 👑दर्पण YDMS
Live - Live - Live....
*▶CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण*
*युदस नदि/गुज 8 दिसं 2022:* (India TV/ज़ी Live के सौजन्य से) साभार, हमारे अधीकृत वीडियो समाचार के सर्वप्रादेशिक यूट्यूब चैनल *▶CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण* पर उपलब्ध है। गुजरात विधानसभा चुनाव, ऐतिहासिक विकास की विजय गणना आप देख सकते हैं, सीधे प्रादेशिक प्ले सूची गुजरात प्रदेश 👑दर्पण YDMS में 1/202, व 205 पर।
इसी प्रकार अन्य किसी भी प्रदेश के तथा विविध विषयों पर PIB PMO Namo MoiB RSS BJP BMS VHP etc के अधीकृत वीडियो समाचार, आप जब चाहें, देखने हेतु हमारे दोनों यूट्यूब चैनल 1. सर्वप्रादेशिक त्वरित समाचार ▶️CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण 2. विविध सभी विषयों की सटीक सुव्यवस्थित जानकारी ▶️DD-Live YDMS👑 दूरदर्पण सब्सक्राइब करें और घंटी का बटन दबाएं।
सभी दलों को कुछ न कुछ मिला। हर ओर से पिटती कांग्रेस को हिंप्र में बहुमत देकर तथा आआप को दिननि तथा भाजपा को गुजरात में प्रचंड बहुमत दिखाई दे रहा है।

-तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार।
#युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह #YDMS👑

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"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Wednesday, April 20, 2022

#सामयिक विषयों पर चर्चा YDMS👑

  सामयिक विषय 

#सामयिक विषयों पर चर्चा YDMS👑 

हिंदुओं पर घात अंतर्राष्ट्रीय जिहादी कुचक्र, रासुका में हो कार्यवाही: डॉ सुरेन्द्र जैन 
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*युदस/विहिप नदि 19 अप्रैल 22:* विहिप की 16 अप्रैल को जारी प्रेस विज्ञप्ति (संपादित) के अनुसार, विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र कुमार जैन ने कहा है कि रामनवमी के पावन कार्यक्रमों पर मुस्लिम समाज द्वारा किए जा रहे हिंसक घातक्रम, निर्बाध चल रहा है। उड़ीसा, गोवा अपेक्षाकृत शांत प्रदेश माने जाते हैं। वहां भी रामोत्सव पर घात घोर चिंता का विषय है। विगत दिनों JNU सहित 20 से अधिक स्थानों पर रामनवमी के आयोजनों पर हिंसक घात किए गए। घरों की छतों से पत्थर, ईटें, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें आदि फेंके गये। अवैध हथियार लहराते हुए जिहादियों की भीड़ ने हिंदुओं पर घात किए। महिलाओं की अस्मिता लूटने का प्रयास किया गया, मंदिरों को तोड़ा गया तथा पुलिसकर्मियों पर भी प्राणघाति घात किए गए।

विहिप का मानना है कि ये घात आतंकवादी कार्यवाही हैं। हर हिंसक और उसको शरण देने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिए।  अल-जवाहरी के वीडियो से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय कुचक्र है। भारत के एक आतंकी संगठन पीएफआई की भूमिका अब स्पष्ट रूप से सामने आ रही है। इन हिंसक घात के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के भारत विरोधी "टूल किट गैंग" का आर्थिक, बौद्धिक व राजनीतिक समर्थन मिल रहा है। दुर्भाग्य से भारत के अधिकांश मुस्लिम नेता और कांग्रेस तथा उनके कोख से निकले सभी दल, इन घातक दलदल में एक साथ खड़े हो गए हैं। टीवी स्टूडियो से लेकर सड़क और न्यायालय तक हर कहीं यह "टूल किट गैंग" इन जिहादियों की रक्षा में एकजुट हो गया है। सोशल मीडिया पर भी मुसलमानों को भड़काने वाले प्रयास विदेशों में रहने वाले कई धनिक जेहादी कर रहे हैं। गत दिनों सोशल मीडिया पर एक बड़ी सक्रियता इन जिहादी तत्वों के द्वारा दिखाई दी। ये भारत विरोधी वातावरण बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। यह तथ्य सामने आया कि इसमें भारत से बाहर के लोगों का 87% सहयोग है। हमारा यह आरोप सिद्ध हो जाता है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय कुचक्र के अंतर्गत किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि वे भारत में गृह युद्ध की स्थिति निर्माण करना चाहते हैं। 

डॉ जैन ने कहा कि यह बर्बर हिंसा रमजान के कथित पवित्र माह में हो रही है। क्या जिहादियों की पवित्रता का अर्थ हिंदुओं का नरसंहार है, महिलाओं पर बलात्कार के प्रयास, मंदिरों को ध्वस्त करना, मकानों व दुकानों को लूट कर आग लगा देना, पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाना दलितों के घरों को आग लगाकर उनकी महिलाओं के साथ अपमान करना है?

उन्होंने कहा कि एक बात स्पष्ट हो गई है कि, "मीम और भीम" के नारे लगाने वाले भी पीएफआई के ही 'एजेंट' है। अनुसूचित समाज का वर्ग सदा से जिहादियों का सामना करने में सबसे आगे रहता है। इनके साथ मित्रता का नारा दलितों के जनधन पर एक निकृष्ट राजनीति करने का प्रयास है। अब उनका घृणित चेहरा भी प्रत्यक्ष हो गया है। उनके मुंह से इन दानवों के विरोध लिए, एक शब्द भी निकला? 

इन घटनाओं से कुछ आधारभूत प्रश्न खड़े होते हैं :

1. मुस्लिम समाज की हठधर्मिता के कारण ही धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ था। स्वतंत्रता के बाद भी ये जिहादी हिंदुओं पर घात करने का कोई ना कोई कारण ढूंढ लेते हैं। CAA का भारतीय मुस्लिम समाज से कोई लेना-देना नहीं था, किन्तु शाहीन बाग, शिव विहार जैसे पचासियों स्थानों पर इन्होंने कानून व्यवस्था को ध्वस्त किया और हिंदुओं पर घात किए। हिजाब का विषय एक विद्यालय के गणवेश का विषय था। परंतु जिस प्रकार निर्णय देने वाले न्यायाधीशों को धमकी दी गई और हर्षा की निर्मम हत्या की गई, उससे इनकी मानसिकता स्पष्ट हो जाती है। कुछ लोग कहते हैं कि जिनको भारत में हिंदुओं से प्यार था वही भारत में रह गए। यदि यह सत्य है तो ये घटनाएं क्यों होती हैं? क्यों अभी तक कोई बड़ा मुस्लिम नेता इन हिंसक घटनाओं या राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का विरोध नहीं करता? मुर्तजा जैसे आतंकी के साथ ये सब क्यों खड़े हुए दिखाई देते हैं? 

((प्रश्न: 30 करोड़ में से कुछ मुट्ठी भर, अब्दुल कलाम अथवा अब्दुल हमीद, अपवाद, अन्य कितने हैं? इसके विपरीत जिहादियों के समर्थन में करोड़ों हैं?)) 

2. एक बात बार-बार कही जाती है कि भड़काऊ नारे लगाए गए। कौन से भड़काऊ नारे? ‘जय श्री राम’, व ‘भारत माता की जय’ भड़काऊ नारा कैसे हो सकते हैं? इसके विपरीत कट्टरपंथियों के कई कार्यक्रमों में 'सर धड़ से जुदा होगा' या 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' नारे लगाना क्या भड़काऊ नारे नहीं है? विश्व इतिहास का सबसे भड़काऊ नारा है तो "ला इलाह इल्लल्लाह, मोहम्मद उर रसूल अल्लाह" है। क्या दिन में 5 बार अजान के समय 'केवल अल्लाह की पूजा की जा सकती है किसी और की नहीं' यह कहकर वे हिंदुओं को भड़काने का प्रयास नहीं करते? यदि भड़काऊ नारे के नाम पर ही रामनवमी पर हमलों को ये उचित 'जायज' ठहराते हैं तो इनके नारों के विरोध में हिंदुओं को क्या करना चाहिए? 

3. इस्लाम से सबसे अधिक पीड़ित समाज भारत के मुसलमान हैं। 85% मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, जिनको बलात् मूसलमान बनाया गया। उनके मन में इन मुस्लिम आक्रमणकारियों के प्रति श्रद्धा नहीं, घृणा होनी चाहिए। ऐसा लगता है कि भारत का मुसलमान 'स्टॉकहोम सिंड्रोम' से पीड़ित है। इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से प्यार करने लग जाता है और उसके मार्ग पर चलने लग जाता है। किन्तु सौभाग्य से एक दूसरा वर्ग भी है, जो दारा शिकोह, रसखान और एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानता है। इस दूसरे देश भक्त समाज की आवाज दब रही है। दुर्भाग्य से जो आक्रमणकारियों के साथ खड़ा है, वही नेतृत्व करता हुआ दिखाई देता है। इसलिए रजाकारों के मानस पुत्र सहित सभी मुस्लिम नेता आज मुस्लिम समाज को भड़काने का प्रयास करते हैं।

4. कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के कारण ही भारत का विभाजन हुआ था। दुर्भाग्य से कांग्रेस की यह नीति स्वतंत्रता के बाद भी नहीं बदली। स्वतंत्र भारत में आतंकवाद के सभी स्वरूपों के पीछे कांग्रेस और इनके कोख से जन्म लेने वाले सभी तथाकथित शर्म निरपेक्ष दलों की दलदल हैं। यह तथ्य है कि मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार के संरक्षण में ही SIMI फली फूली थी और आज भी इन्होंने एक गलत तथ्य को ट्वीट करके मध्य प्रदेश को दंगों की आग में झोंकने का असफल प्रयास किया है। राजस्थान में दंगाइयों को पकड़ने के विपरीत गहलोत सरकार ने जिस प्रकार सभी धार्मिक शोभा यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, वह इसी मानसिकता को दर्शाता है। रामनवमी, महावीर जयंती, गुरु तेग बहादुर आदि की शोभायात्राओं के ऊपर तो पाबंदी लग गई, किन्तु यह निश्चित है मोहर्रम आने तक यह पाबंदी हटा दी जायेगी। हिंदुओं की शोभायात्रा पर पाबंदी लगाने वाली कांग्रेस की शव यात्रा शीघ्र ही निकालेगी यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है। 

5. यह विचारणीय तथ्य है कि दंगे वहीं क्यों होते हैं जहां हिंदू अल्पसंख्या में होता है। विश्व हिंदू परिषद गंभीरता से चाहती है कि हमें वह दिन नहीं आने देना चाहिए कि हिंदू इन दंगाइयों को उनकी ही भाषा में हिंदू बहुल क्षेत्रों में प्रत्युत्तर देने लगे। इसका दायित्व भारत के सभी प्रबुद्ध लोगों और राजनीतिक दलों का ही है। यदि ऐसा हुआ तो क्या परिणाम होगा, इसका विचार सरलता से किया जा सकता है। किन्तु एक तथ्य स्मरण रखना चाहिए, जहां हिंदू अल्पसंख्यक है क्या वह वहां सदा पिटता रहा है या पिटता रहेगा? इतिहास बता रहा है अब यह सत्य नहीं है। मुजफ्फरनगर, शामली, शिव विहार आदि कई स्थानों के अनुभव जेहादी नेता भूले नहीं होंगे। 

विश्व हिंदू परिषद देश की सभी सरकारों और राजनीतिक दलों से अपील करती कि वे अपने राजनीतिक स्वार्थ को छोड़कर देशहित का विचार करें। देश को विकासमार्ग पर ले जाने के अपने दायित्व को स्वीकार करें। उन्हें इतिहास का ध्यान रखना चाहिए कि मोहम्मद बिन कासिम का साथ देने वाले जयचंद की क्या दुर्गति हुई थी। अपने स्वार्थ के लिए देश हित की बली चढ़ाने वालों की दुर्गति यही होती है। 

विहिप हिन्दू समाज का भी आह्वान करती है कि 'पलायन नहीं पराक्रम' हिन्दू का संकल्प रहा है। जहाँ की सरकारें दंगाईयों पर कठोर कार्यवाही कर रही हैं, उनका साथ दें और जहाँ वे दंगाइयों के साथ हैं, वहाँ अपने सामर्थ्य को जागृत करें। हमें दंगाइयों से भयभीत न होते हुए स्वाभिमान पूर्ण जीवन जीने की परिस्थितियों का निर्माण करना है। दंगाइयों को स्मरण रखना चाहिए, यह 1946 नहीं है। संकल्प और शौर्यवान हिंदू उनके षड्यंत्रों को सफल नहीं होने देगा।
 
- तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार,  
युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 

 https://vhp.org/press_releases/ 

नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 

"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं 

Friday, July 8, 2016

केजरीवाल का रोना

केजरीवाल का रोना 

तिलक राज रेलन 
नौटंकीवाल का चलन हर काम में उल्टा है, इसलिए उसका नारा अकर्मण्यता व अधिकारस्ते, अकर्मण्यता के अधिकार की रक्षा करते हुए समाचारों के शीर्ष पर बने रहने की अद्भुत कला से अपनी नौटंकी चलाने के खिलाड़ी पहले दिल्ली सरकार के अधिकारों का पहाड़ा पढ़ने लगे। जब दिल्ली पूर्ण राज्य न किये जाने के संवैधानिक कारणों से पहाड़ा पूरा न कर पाए तब केंद्र से अधिक अधिकार मांगने का मामला चलाया वो भी न चल सका। केंद्र राज्य टकराव को लेकर उच्चतम न्यायालय गए। 
दिल्ली के नौटंकीवाल को जब केंद्र से टकराव में उच्चतम न्यायालय ने घास नहीं डाली, तो वो इतना गरम हो गए कि पूछो मत। कहने लगे कि कोई मुझे काम ही नहीं करने देना चाहता।  
वह तो उच्चतम न्यायालय का भी अपमान करने वाले थे। यदि उनके शब्दों को नरम न किया गया होता, जब उनसे कहा गया कि वो आवेश में कुछ ऐसा न कहें जिससे न्यायालय की भी अवमानना हो जाये। वो तो यह समझते हैं कि जब वो प्र मं तथा अन्य मंत्रियों का अपमान कर सकते हैं। इतना ही नहीं किसी भी जाति धर्म का यहाँ तक मंदिर गुरुद्वारे ग्रन्थ का अपमान कर सकते हैं। देश की सारी व्यवस्था को मोदी की व्यवस्था बतला कर अपनी अकर्मण्यता को ढका जा सकता है। सम्भवत:, वो स्वयं को सवैंधानिक परम्पराओं मान्यताओं से ऊपर मान बैठे हैं। 
अर्थात अकर्मण्यता से जब कोई कार्य व्यवस्था के कारण स्वत: हो गया तो श्रेय अपना और कार्य स्वत: नहीं होगा तब दोष सदा दूसरों को दिए जाने के अवसर बने रहेंगे। आरोप दूसरों पर मढ़ने के लिए जो मीडिया चटकारे के साथ प्रस्तुत करे वही तो इस नौटंकीवाल की मुख्य शक्ति है, जिससे किसी से भी टकरा सकते हैं। 
असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करने वाले नकारात्मक मीडिया, जो इसे प्रमुखता से प्रस्तुत करे नौटंकीवाल उसके समक्ष बयान बहादुर बन जाते हैं। इसी के चलते कुछ समय सम विषम का नाटक चलाया। उसकी भी एक सीमा कितना चलता ? फिर नया कुछ मिला नहीं तो आरोपों का नाटक चलाया उसी के तहत कुछ दूर केंद्र राज्य टकराव का पहाड़ा चलाया वो भी लेकर उच्चतम न्यायालय गए। वहां भी कुछ मिला नहीं। अब तक जो भी बाधक बना उसे मोदी के दबाव में काम करने का आरोपी बना उछालते रहे। इसे तो कोई नहीं मानेगा कि उच्चतम न्यायालय मोदी के दबाव में काम करता है। 
मोदी प्रधान मंत्री हैं अत सरकारी तंत्र का कोई भी कितना ही प्रमाणिकता से अपना दायित्व निभा रहा हो, आरोपित सरलता से किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय स्वतन्त्र संस्था है, मीडिया भी संभवत उसपर आरोप में नौटंकीवाल का साथ नहीं देगा। फिर भी दिल्ली सरकार का यह आग्रह कि दिल्ली उच्च न्यायालय को पहले यह निर्णय करने के लिए कहा जाए कि क्या केन्द्र और राज्य के बीच के विवाद उसके न्यायक्षेत्र में आते हैं या यह ‘‘केवल’’ उच्चतम न्यायालय के। इस पर सुनवाई करने को लेकर उच्चतम न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया। 
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि जब दिल्ली उच्च न्यायालय इस प्राथमिक मुद्दे समेत सभी मुद्दों पर निर्णय कर ले कि क्या विवाद उसके न्यायक्षेत्र में है। कहा उच्च न्यायालय एक ‘‘संवैधानिक अदालत’’ है और उसे इस तरह के संवैधानिक मामलों का निर्णय करने व उन्हें परिभाषित करने की शक्ति है। आप अनुच्छेद 226 के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय गए। अब उच्च न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित कर लिया और सभी न्याया को अपना न्यायक्षेत्र निर्धारित करने की शक्ति है। उच्च न्यायालय बड़े अच्छे ढंग से न्यायक्षेत्र का निर्णय कर सकता है कि क्या इसका निर्णय अनुच्छेद 226 के तहत किया जा सकता है या अनुच्छेद 131 के तहत।’’ 
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं 

Tuesday, June 14, 2016

आआप के पाप



















मुझे ३० माह लगे समझाने में, "दिल्ली -आआप की या पाप की" किन्तु भेड़ की खाल में छिपे, इन भेड़ियों को अब पहचाना है ज़माने ने। -तिलक सं
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" - तिलक सं

Thursday, June 18, 2015

जितेन्द्र तोमर का विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र भी नकली

जितेन्द्र तोमर का विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र भी नकली 
नदि युदस। दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर द्वारा, एजेंट के माध्यम विधि सनातक का नकली प्रमाणपत्र लेने की बात स्वीकारने के दो दिन बाद, विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र (माइग्रेशन प्रमाणपत्र) भी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में नकली पाया गया। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव अखिलेश चन्द्र के अनुसार  जांच में पाया गया कि तोमर को अप्रैल 1993 में, क्रसं 156 से कोई विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि जांच के अनुसार, 26 मार्च से पांच मई 1993 के बीच क्रसं सात हजार से 7100 के विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र जारी हुए थे, जबकि तोमर का विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र दो अप्रैल 1993 को क्रसं 156 से जारी हुआ है, जो पूर्णत: गलत है। 
तोमर के फर्जी प्रमाण पत्र की जांच के क्रम में दिल्ली पुलिस बुधवार को, उनको बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ले कर आई थी और बुधवार देर शाम उन्हें दिल्ली वापस ले गयी। तोमर का सारा अपराध स्पष्ट प्रमाणित हो रहा है फिर भी तोमर ने दिल्ली जाते समय रेलवे स्टेशन पर केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि ‘आप’ की लोकप्रियता से घबरा कर उन्हें फंसाया गया है। 
उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र के कई मंत्रियों के प्रमाण पत्र भी संदिग्ध हैं, किन्तु केन्द्र सरकार उनकी जांच नहीं करा रही है। 
तोमर केवल हताशा में आरोप मढ़ रहे हैं। क्या आप मेरी बात से सहमत हैं ? 
A हाँ....., B न....., अथवा अन्य टिप्पणी 
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"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Tuesday, November 11, 2014

दिल्ली किसकी हो इसबार ?

केज़रीवाल : मु मं पद के इच्छुक व
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सदा मुस्लिम मुस्लिम रटने वाले को, उन्ही की भाषा समझ आएगी ?-
एक मुस्लिम व्यक्ति मजाक "मैं तुम्हें तलाक... ", तीन बार स्काइप पर अपनी पत्नी से कहा (तलाक ... तलाक ... तलाक ...)
धार्मिक विद्वानों (प्रतिष्ठित दारुल उलूम देवबंद मदरसा) के अनुसार तलाक रुकेगा नहीं; भले ही केवल एक मजाक था और युगल पूर्ववत विवाहित रहना चाहता है।
वे पुनर्विवाह कर सकते हैं, किन्तु नियमानुसार, उस पत्नी का, एक अन्य व्यक्ति से विवाह, फिर तलाक तो होना ही चाहिए।
दिल्ली किसकी हो इसबार ? जरा बताओ तो एकबार ??
आप AAP       भाजपा BJP      अन्य      
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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Saturday, November 8, 2014

आधा अधूरा पंगू,

आधा अधूरा पंगू,
अब तो झाड़ू लगाने की नौकरी भी नहीं मिलेगी।
सहमत   A ,         असहमत    B

शेयर का खर्च तो नहीं आता, 
सन्देश जन जन तक जाता।
"दिल्ली -आआप की या पाप की"
भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
"हम देंगे तीखा सत्य,
किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं