AAP Aur Paap

: : : "दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" चोर मचाते रहे शोर -ये सारी दुनियां है चोर ! भूल गए एक उँगली दूसरे की ओर करने से 3 अपनी ही ओर होती हैं!! कथित ईमानदार के सारे पाप सामने आएंगे, तो सब जानते थे; काठ की हांड़ी इतना भी नहीं टिक पायेगी, आश्चर्य !!! कहते हैं जो काँच के घरों में रहते हैं, वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते! यहाँ दूसरों के घर पत्थर फेंक दिखाते हैं, हमारा कांच अटूट है!! किन्तु जब पत्थर पड़ने लगे, तो रोने लगे!!! -तिलक सं 9911111611, 7531949051.: : "ब्लाग" पर आपका हार्दिक स्वागत है. इस ब्लॉग पर अपनी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाये भेज सकते हैं, रचनाएँ स्वरचित है इसका सत्यापन कर ई-मेल yugdarpanp@gmail.com पर भेजें, ये तो आपका ही साझा मंच है.धन्यवाद: :
No posts with label सम्पादकीय. Show all posts
No posts with label सम्पादकीय. Show all posts