AAP Aur Paap

: : : "दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" चोर मचाते रहे शोर -ये सारी दुनियां है चोर ! भूल गए एक उँगली दूसरे की ओर करने से 3 अपनी ही ओर होती हैं!! कथित ईमानदार के सारे पाप सामने आएंगे, तो सब जानते थे; काठ की हांड़ी इतना भी नहीं टिक पायेगी, आश्चर्य !!! कहते हैं जो काँच के घरों में रहते हैं, वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते! यहाँ दूसरों के घर पत्थर फेंक दिखाते हैं, हमारा कांच अटूट है!! किन्तु जब पत्थर पड़ने लगे, तो रोने लगे!!! -तिलक सं 9911111611, 7531949051.: : "ब्लाग" पर आपका हार्दिक स्वागत है. इस ब्लॉग पर अपनी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाये भेज सकते हैं, रचनाएँ स्वरचित है इसका सत्यापन कर ई-मेल yugdarpanp@gmail.com पर भेजें, ये तो आपका ही साझा मंच है.धन्यवाद: :

Wednesday, April 9, 2014

केजरीवाल के मंत्री ने संस्थागत निधि में किया घोटाला

केजरीवाल के मंत्री ने संस्थागत निधि में किया घोटाला 
AAP's Manish Sisodia under cloud for 'misuse' of NGO's foreign funds(जैसा कि हमने आपको 2 माह पूर्व भी बताया था, आज दोहरा रहे हैं कि दिसम्बर की भूल सुधर सकें।)  दिल्ली के शिक्षा मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपने "एनजीओ" 'कबीर' के चंदे का निजी उपयोग किया है। मुख्यमंत्री केजरीवाल भी इस संस्था कबीर की सञ्चालन समिति में शामिल हैं।
इसकी जांच कर रहे गृह मंत्रालय के नियंत्रक की ओर से कहा गया है, कि मनीष सिसोदिया ने जो खर्च बताए और उसके प्रपत्र दिए, उसमे कोई समानता नहीं दिखती है।
जिन अनियमिततताओं के आरोप हैं, उनमें सिसोदिया की पत्नी को बिना रसीद के किराये देना, कर्मचारियों का विवरण न होना, रोकड़ बही का गायब होना, ऐसी यात्राओं के खर्च दिखाए गए हैं जिनका कही कोई विवरण नहीं है।
इतना ही नहीं, संस्था के पैसे से मनीष सिसोदिया ने अपनी कार की मरम्मत करने के लिए भुगतान भी कर दिया।
संस्था कबीर की जांच रिपोर्ट में बताया गया, कि 2008 से 2011-12 के मध्य आरटीआई के कार्यकर्ताओं को 17.7 लाख रुपये का भुगतान किया गया है, किन्तु जांचदल को इसका कोई आलेख  नहीं दिया गया है। जांचदल को संस्था के कर्मचारियों के वेतन का भी प्रमाण नहीं मिला।
इस संस्था को 2005-06 से 2010-11 के बीच विदेशों से 2 करोड़ रुपये की सहायता मिली। फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट के तहत संस्था की 2005-06 से 2011-12 के बीच जांच की गई है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संस्था पांडव नगर स्थित उनके घर से चल रही थी और इसके लिए उनकी पत्नी सीमा को 12,000 रुपये प्रतिमाह किराया दिया गया। जबकि, इस किराए की कोई रसीद उपलब्ध नहीं कराई गई।
कबीर का सीमा के साथ कोई किराया करार भी नहीं दिखाया गया। इतना ही नहीं, जब 2006 से 2008 की रोकड़ बही मांगी गई तो सिसोदिया ने जांचदल को बताया, कि कार्या बदलने के क्रम में कहीं खो गईं।
रपट में कहा गया है, कि सिसोदिया को 11 जुलाई 2008 को देहरादून यात्रा के लिए 17,900 रुपये का भुगतान किया गया, किन्तु बिल के अनुसार गाड़ी दिल्ली-बहराइच-दिल्ली के लिए किराये पर ली गई थी। यह भी नहीं बताया गया, कि इस यात्रा का उद्देश्य क्या था और कितने लोग गए थे। जांच रपट में स्पष्ट टिप्पणी की गई है, कि प्रथम दृष्टया यह मामला धोखाधड़ी का लग रहा है।
"दिल्ली -आआप की या पाप की"  भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

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